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तेलंगाना: नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश जारी, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने रविवार को टनल साइट का दौरा किया.

तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश जारी है. हालांकि फंसे हुए मजदूरों के बारे में अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है. मजदूर 22 फरवरी की सुबह करीब 8:30 बजे से फंसे हुए हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने रविवार को एसएलबीसी (श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल) टनल साइट का दौरा किया.

मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने साइड का दौरान करने के बाद कहा कि एसएलबीसी परियोजना की सुरंग के अंदर फंसे आठ लोगों का स्थान अभी तक ठीक से पता नहीं चल पाया है. सरकार बचाव अभियान में तेजी लाने के प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बचाव कर्मी इस बात को पूरी तरह से नहीं समझ पा रहे हैं कि लोग और मशीनें कहां फंसे हुए हैं. उनके पास केवल प्रारंभिक अनुमान है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे अधिकारियों को सुझाव दिया है कि यदि आवश्यक हो तो सुरंग के अंदर रोबोट का उपयोग किया जाए, ताकि बचाव कर्मियों को किसी भी तरह के खतरे से बचाया जा सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार फंसे लोगों को निकालने के लिए दृढ़ है और दुर्घटना के कारण पीड़ित परिवारों की सहायता करने के लिए भी तैयार है.

कन्वेयर बना सबसे बड़ी चुनौती

रेवंत रेड्डी ने SLBC टनल को दुनिया की सबसे बड़ी टनलों में से एक बताया और आश्वासन दिया कि सरकार किसी भी हाल में उम्मीद नहीं छोड़ेगी. अधिकारियों का अनुमान है कि स्थिति साफ करने और रेस्क्यू के किसी नतीजे तक पहुंचाने में 2-3 दिन और लग सकते हैं. बचाव कार्य में सबसे बड़ी चुनौती क्षतिग्रस्त कन्वेयर बेल्ट है, जो मलबा हटाने में बाधा बन रही है, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि अगर कन्वेयर बेल्ट की मरम्मत कल तक हो जाती है, तो मलबा हटाने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी.

कई एजेंसियां एक साथ कर रही काम

मजदूरों के इस अभियान में 11 राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियां इस काम में लगी हुई हैं. इनमें सेना, नौसेना, मार्कोस कमांडो, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, MORPH, सिंगरेनी, HYDRAA, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, नवयुग और एलएंडटी सुरंग विशेषज्ञ और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) शामिल हैं.

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