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दिल्ली विधानसभा स्पीकर ने आप के सभी 21 विधायकों को हंगामा करने के कारण निलंबित कर दिया, क्या आप जानते हैं कि स्पीकर कब सभी विधायकों को निलंबित कर सकता है? क्या नियम हैं?

दिल्ली में मुख्ममंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने अपना कार्यभार संभाल लिया है. वहीं सत्र के दूसरे दिन विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी विधायकों पर तगड़ा एक्शन लिया है. विजेंद्र गुप्ता ने ‘आप’ विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अब सवाल ये है कि आखिर विधानसभा स्पीकर कितने दिनों के लिए विधायकों को सस्पेंड कर सकता है और क्या पार्टी के सभी विधायकों को सस्पेंड किया जा सकता है. आज हम आपको इससे जुड़े नियमों के बारे में बताएंगे.

क्या है मामला?
बता दें कि दिल्ली में बीजेपी 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है. जब विजेंद्र गुप्ता विधानसभा स्पीकर बने थे, तो उन्होंने पदभार संभालते ही कहा था कि अब सदन को अखाड़ा नहीं बनने दूंगा, उन्होंने ये भी कहा था कि नियम से यहां काम होगा. बीते सोमवार को दिल्ली विधानसभा के पहले सत्र का आगाज हुआ था. जिसके बाद सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को उपराज्यपाल के अभिभाषण के बीच में ही आम आदमी पार्टी के विधायक हंगामा शुरू किया था. जिसके बाद दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को हुए हंगामे के चलते सदन की तीन दिवसीय कार्यवाही से विपक्ष के 21 विधायकों को सस्पेंड कर दिया है.

विधायकों को निलंबित करने को लेकर क्या है नियम?
अब सवाल ये है क्या पार्टी के सभी विधायकों को विधानसभा स्पीकर निलंबित कर सकता है. इसका जवाब है हां. विधानसभा में सत्र चलने के दौरान अगर विधायक हंगामा करते है, तो विधानसभा स्पीकर के पास इतना अधिकार है कि वो उन सभी विधायकों को सस्पेंड कर सकते हैं. इतना ही नहीं अगर पार्टी के सभी विधायक हंगामे में शामिल हैं, तो उन सभी विधायकों को भी स्पीकर सस्पेंड कर सकते हैं.

विधानसभा स्पीकर की शक्तियां
बता दें कि संविधान में विधानसभा स्पीकर को कई शक्तियां दी गई है. अनुच्छेद 188(1) के तहत प्रोटेम स्पीकर के पास विधानसभा सदस्यों को शपथ दिलाने का अधिकार है. वहीं अनुच्छेद 180(1) के तहत, प्रोटेम स्पीकर अध्यक्ष की सभी शक्तियों और कार्यों का निर्वहन कर सकता है. इन अधिकारों में विधानसभा की बहस की अध्यक्षता करना, सदन में अनुशासन और व्यवस्था बनाए रखना,सदस्यों को बोलने का समय तय करना, विशेषाधिकार हनन जुड़े मामलों में फ़ैसला लेना,संविधान और नियमों की व्याख्या करना, सदन के आदेशों को निष्पादित करने के लिए वारंट जारी करना, सदन में सरकार और अन्य कार्यों का क्रम निर्धारित करना, वहीं किसी सदस्य को अनियंत्रित व्यवहार के लिए निलंबित करके दंडित करने का अधिकार है.

 

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