Kanpur: केंद्र सरकार के द्वारा अधिवक्ता बिल में संशोधन किए जाने को लेकर अब अधिवक्ताओं में आक्रोश दिखाई दे रहा है. अधिवक्ता समाज इस संशोधन से नाराज है, क्योंकि उनके मुताबिक इस बिल में अधिवक्ताओं को खत्म करने और उनके अधिकार का हनन है. जिसे लेकर अधिवक्ताओं ने प्रदेश स्तर पर कार्य बहिष्कार कर दिया और सड़कों पर उतर आए हैं.
अधिवक्ताओं द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया जा रहा है. वहीं अधिवक्ताओं पर जुर्माने और रजिस्ट्रेशन को रद्द करने को भी इस कानून मे जगह दी गई है. आज प्रदेश भर में अधिवक्ताओं ने अपने कार्य का बहिष्कार कर दिया है. इसके साथ ही सड़कों पर उतरकर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का पुतला लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है.
कानपुर शहर में अधिवक्ताओं ने किया विरोध प्रदर्शन
कानपुर कचहरी में लगभग लायर्स और बार संगठन को मिलाकर 17 हजार अधिवक्ता है. इस कानून मे संशोधन के चलते उन्हें अपने अधिकारी और कार्य क्षेत्र में बाधा नजर आ रही है. इसी विरोध के चलते कानपुर कचहरी में काम को बंद कर दिया गया है. सभी कार्यालयों को जबरन अधिवक्ताओं ने बंद कराकर इस विरोध में शामिल कर लिया.
शहर में सड़कों पर अलग अलग जगह पर अधिवक्ता विरोध करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस विरोध के चलते अधिवक्ताओं ने बताया कि ये कानून में अनुच्छेद 19 में विरोध का अधिकार भी है. सरकार अधिवक्ताओं को कमजोर करना चाहती है. पहले मीडिया फिर विपक्ष और अब सरकार के खिलाफ खड़े होने वाले अधिवक्ताओं पर नकेल डालने के लिए इस कानून मे संशोधन कर उन्हें जकड़ने का काम किया जा रहा है.
अधिवक्ताओं ने क्या कहा?
सरकार चाहती है कि कानून की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता वर्ग भी उनका गुलाम बन जाए. वहीं पुराने अधिवक्ता ने कानून को ही वापस लिया जाने की बात कही है. अगर सरकार ऐसा नहीं चाहती है तो बड़े स्तर पर इस का विरोध होगा. काम बहिष्कार कर दिया जाएगा और अधिवक्ता दिल्ली तक सरकार को एक जुट होकर घेरेंगे.
कानपुर में हर ओर काले कोट में अधिवक्ता नजर आ रहे हैं और फिजाओं में इस कानून को लेकर विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं. जोरदार नारेबाजी और हाथों में कानून मंत्री का पुतला अधिवक्ताओं के विरोध को दर्शा रहे हैं. इस कार्य बहिष्कार और कानून को वापस लेने के विरोध के बीच कानपुर कचहरी ने न्यायिक सेवाएं लेने वाले लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है.
विरोध प्रदर्शन के चलते नहीं हुई सुनवाई
सभी कोर्ट में आज अधिवक्ताओं ने कम करने से मना कर दिया. जिसके चलते बहुत से मुकदमों वादी और प्रतिवादी परेशान हुए, कई मुजरिमों की न्यायालय में सुनवाई नहीं हो सकी और न ही की जिरह हुई, कई मुजरिमों की जमानत भी होने में अटक गई. देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस कानून को लेकर क्या फैसला लेती है?