तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री फिलहाल एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन हैं. उदयनिधि ने एक रैली को संबंधित करते हुए मंगलवार को कहा कि तमिलनाडु के लोग केंद्र सरकार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति और त्रिभाषी नीति (तीन भाषा सीखने की नीति) थोपने नहीं देंगे. साथ ही, अगर तमिलानडु के अधिकारों को छीनने का कोई प्रयास किया गया तो वे ‘गेट आउट मोदी’ अभियान शुरू करेंगे. उदयनिधि ने यहां तक कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खिलाफ विरोध पूरे राज्य में एक पूर्ण संघर्ष में तब्दील होगा या नहीं, ये अब पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के हाथों में है. आइये समझें कि ये पूरा विवाद क्या और क्यों है.
डीएमके और उसके सहयोगियों की तरफ से बुलाई गई रैली को संबोधित करते हुए उदयनिधि ने कहा कि, “पिछली बार, जब तमिलों के अधिकारों को छीनने का प्रयास किया गया था, तो लोगों ने ‘मोदी वापस जाओ’ अभियान शुरू किया था. अगर तमिलनाडु के लोगों के साथ फिर से ऐसा करने की कोशिश होता है, तो इस बार गेट आउट मोदी आंदोलन होगा” उदयनिधि ने केंद्र सरकार से मांग की कि वे जल्द से जल्द शिक्षा विभाग का बकाया फंड जारी करें. केवल उदयनिधि ही ने नहीं बल्कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वो निर्धारित समय सीमा के भीतर फंड जारी करे, ताकि राज्य सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू कर सके.
स्टालिन ने लिखी केंद्र को चिठ्ठी
इस बारे में स्टालिन ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी को एक चिठ्ठी भी लिखा है. 31 जनवरी को पत्र लिखकर अन्नपूर्णा देवी ने तमिलनाडु सरकार से कहा था कि मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य के तहत 716.05 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए हैं. इसके जवबा में स्टालिन ने अपनी चिठ्ठी में कहा कि तमिलनाडु में सभी कल्याणकारी योजनाओं को कुशलतापूर्वक लागू किया जा रहा है और संबंधित फंड का इस्तेमाल काफी अच्छे से हो रहा है. स्टालिन से दो कदम आगे बढ़ते हुए उदयनिधि ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हम संविधान और लोकतंत्र का सम्मान करते हैं, इसलिए हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठा रहे हैं.
उदयनिधि का एक बड़ा ऐलान
उदयनिधि के मतुबाकि,अगर हमारी आवाज नहीं सुनी गई तो तमिलनाडु भाषा के लिए एक और लड़ाई लड़ने में संकोच नहीं करेगा. उदयनिधि ने आह्वान किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति और राज्य पर हिंदी थोपने का मामला बच्चों और तमिलवासियों के भविष्य से जुड़ा है और ये केवल डीएमके का विषय नहीं है. उदयनिधि ने विपक्षी एआईएडीएमके से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरोध में डीएमके के साथ आने की अपील भी की. एमडीएमके प्रमुख वाइको, टीएनसीसी प्रमुख के सेल्वापेरुन्थगई, वीसीके प्रमुख थोल थिरुमावलवन और स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी भी उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने उदयनिधि के सुर में सुर मिलाया. अब केंद्र सरकार इसका किस तरह जवाब देती है, ये देखना होगा.