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Delhi Election Result: दिल्ली और हरियाणा में कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन न होने की वजह दोनों पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ा, हार के पीछे जिम्मेदार थी कांग्रेस! AAP ने कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने की वजहें बताई, बिहार, यूपी में क्या होगा?

AAP Congress Failure: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच गठबंधन होगा. हालांकि ये गठबंधन नहीं हो पाया और इसके बाद सवाल उठने लगे कि क्यों हरियाणा में भी दोनों पार्टियां साथ नहीं आई. इससे सीधे तौर पर दोनों पार्टियों को नुकसान हुआ और भाजपा ने दोनों राज्यों में सरकार बना ली. महाराष्ट्र में भी गठबंधन हुआ, लेकिन सीटों का सही बंटवारा नहीं हो पाया.

आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने की वजह को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है जिसका जिक्र शिवसेना नेता संजय राउत ने सामना के मुखपत्र में किया. संजय राउत ने बताया कि जब आदित्य ठाकरे और अरविंद केजरीवाल के बीच बातचीत हुई तो दोनों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी. इस बातचीत में कांग्रेस के साथ गठबंधन पर अरविंद केजरीवाल का रुख साफ हो गया.

कांग्रेस की जिद की वजह से नहीं हुआ गठबंधन

अरविंद केजरीवाल ने आदित्य ठाकरे से हुई मुलाकात में साफ किया कि कांग्रेस के जिद्दी रवैये की वजह से गठबंधन नहीं हो पाया. केजरीवाल ने आदित्य से कहा कि कांग्रेस पार्टी एक भी सीट छोड़ने को तैयार नहीं थी, जबकि आम आदमी पार्टी गठबंधन के लिए तैयार थी. राघव चड्डा ने इस संबंध में कांग्रेस के नेतृत्व से भी बातचीत की, लेकिन फिर भी गठबंधन की कोई राह नहीं निकल पाई.

हरियाणा में सीटों का बंटवारा कैसे हुआ?

इस मुलाकात में दिल्ली के पूर्व सीएम ने आदित्य ठाकरे को बताया था कि जब वह जेल में थे तब हरियाणा विधानसभा चुनाव हुए थे. राघव चड्डा इस चुनाव की रणनीति देख रहे थे और उन्हें कांग्रेस से गठबंधन की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस की ओर से मिले प्रस्ताव में केवल छह सीटें दी गई जो केजरीवाल के मुताबिक बहुत कम थीं. इसके बावजूद आम आदमी पार्टी ने समझौता करने का प्रयास किया और चार सीटों पर भी बात की, लेकिन फिर से स्थिति बदल गई और उन्हें सिर्फ दो सीटें ऑफर की गई.

कांग्रेस की नीति पर उठे सवाल

केजरीवाल ने संजय राउत को बताया कि कांग्रेस की नीति से साफ तौर पर ये लगता है कि राहुल गांधी को पार्टी में सही मायने में ‘बॉस’ नहीं माना जाता. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने एक बार छह सीटों का वादा किया था, लेकिन बाद में वह चार से दो पर आ गए. इसके बावजूद कांग्रेस ने गठबंधन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे आम आदमी पार्टी को भारी नुकसान हुआ.

आगामी चुनावों की रणनीति पर चर्चा

अब सवाल उठता है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने का असर अगले विधानसभा चुनावों पर क्या होगा. खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों को देखते हुए आम आदमी पार्टी अपनी रणनीति पर विचार कर रही है. क्या पार्टी कांग्रेस के साथ फिर से गठबंधन की कोशिश करेगी या अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी ये आने वाला समय बताएगा.

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