अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव में क्यों हारी, दिल्ली के जनादेश के बाद अलग-अलग तरीके से समीक्षा हो रही है. हार के लिए कांग्रेस को मुख्य तौर पर वजह माना जा रहा है. कांग्रेस को दिल्ली की 19 विधानसभा सीटों पर जितने वोट मिले, उससे कम मार्जिन से आप की हार हुई. हालांकि, 5 आंकड़े ऐसे भी हैं, जो गवाही दे रहे हैं कि कांग्रेस छोड़कर अगर आप इन फैक्टर्स को मैनेज कर लेते तो दिल्ली की सियासत में कमल नहीं खिल पाता.
सिर्फ 1 लाख 89 हजार वोट कम
चुनाव आयोग ने सभी 70 विधानसभा सीटों का परिणाम घोषित कर दिया है. आयोग के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को कुल 43 लाख 23 हजार 110 वोट मिले हैं. इसी तरह आम आदमी पार्टी को 41 लाख 33 हजार 898 वोट मिले है.
दोनों पार्टियों के बीच सिर्फ 1 लाख 89 हजार वोटों का फर्क है. वोट प्रतिशत की बात की जाए तो दिल्ली में बीजेपी को 45.56 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी को 43.57 प्रतिशत वोट मिले हैं. दोनों के वोट प्रतिशत में सिर्फ 2 का फासला है.
कांग्रेस को 6 लाख वोट मिले हैं
चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को कुल 6 लाख वोट मिले हैं. कांग्रेस के सिर्फ एक उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे. 66 उम्मीदवार तीसरे नंबर और 3 उम्मीदवार चौथे नंबर पर रहे. कांग्रेस को 6.34 प्रतिशत वोट मिले हैं.
पिछले चुनाव में कांग्रेस को 4 प्रतिशत वोट मिले थे. इस चुनाव में पार्टी को 4 लाख वोट भी मिले थे, जिसमें 2 लाख की बढ़ोतरी देखी गई है. कांग्रेस ने जहां 19 सीटों पर आम आदमी पार्टी का खेल खराब किया है. वहीं 7 सीटों पर बीजेपी का भी गणित गड़बड़ किया है.
तो आ जाते 2 लाख 13 हजार वोट
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी का असल खेल निर्दलीय, नोट और एआईएमआईएम जैसे छोटी पार्टियों ने किया है. चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली चुनाव में नोटा को 53 हजार, एआईएमआईएम को 72 हजार और निर्दलीय समेत छोटी पार्टियों को 87 हजार वोट मिले हैं.
यह कुल वोट 2 लाख 13 हजार के करीब है. नोटा को लोग सरकार के खिलाफ नाराजगी के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह निर्दलीय उम्मीदवार भी सत्ताधारी दल को ही ज्यादा नुकसान करते हैं.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी अरविंद केजरीवाल की पार्टी के खिलाफ ही उम्मीदवार उतारा था. ओवैसी का कहना था कि आप मुसलमानों का वोट ले लेती है लेकिन उसके मुद्दे पर कुछ नहीं बोलती है.
कहा जा रहा है कि ये वोट अगर आप के पक्ष में आते तो दिल्ली का समीकरण कुछ और होता.
इन सीटों पर तो सीधा असर हुआ
1. मुस्तफाबाद सीट पर बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट को 17 हजार वोटों से जीत मिली है. यहां पर असदुद्दीन ओवैसी के उम्मीदवार ताहिर हुसैन ने 13 हजार वोट लाया है. ताहिर तीसरे नंबर पर रहे हैं.
2. जंगपुरा सीट पर आप के मनीष सिसोदिया 675 वोट से हार गए हैं. यहां नोटा को 441 और निर्दलीय समेत अन्य छोटी पार्टियों को 522 वोट मिले हैं. ये सभी वोट करीब 1000 के करीब है.
3. संगम विहार सीट पर आप के दिनेश मोहनिया 344 वोट हार गए हैं. यहां नोटा को 537 वोट मिले हैं. निर्दलीय और अन्य छोटी पार्टियों को संगम विहार में करीब 1000 हजार वोट मिले हैं.
4. त्रिलोकपुरी सीट पर आप की अंजना प्राचा 392 वोट से हार गई हैं. यहां नोटा को 683 वोट मिले हैं. बीजेपी के रविकांत त्रिलोकपुरी सीट पर जीते हैं.
5. मेहरौली सीट पर आम आदमी पार्टी उम्मीदवार महेंद्र चौधरी 1782 वोटों से हार गए हैं. यहां पर निर्दलीय बाबा बालकनाथ को 9731 वोट मिले हैं.
6. तिमारपुर सीट पर आप के सुरिंदर सिंह बिट्टू 1168 वोट से हार गए हैं. यहां पर नोटा, निर्दलीय और अन्य पार्टियों को करीब 1500 वोट मिले हैं. बिट्टू अगर ये वोट मैनेज कर जाते तो तिमारपुर में आप की वापसी हो सकती थी.