केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव और श्री 1008 सिद्धचक्र विधान विश्व शांति महायज्ञ में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एक युग पुरुष थे, एक नए विचार और नए युग का प्रवर्तन किया था. मानवता की रक्षा के लिए उन्होंने कई अनमोल काम किये, वो सच्चे राष्ट्र की धरोहर थे. अमित शाह ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी के शरीर का कण-कण और जीवन का क्षण-क्षण धर्म, संस्कृति और राष्ट्र को समर्पित रहा. उनका जीवन प्रेरणा देने वाला है.
![Union Home Minister Amit Shah](https://images.tv9hindi.com/wp-content/uploads/2025/02/union-home-minister-amit-shah.jpg)
आचार्य ने देश के गौरव का विश्वभर में फैलाया
आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ये भी कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत वसुधैव कुटुंबकम और अहिंसा परमो धर्म: के सिद्धांतों का प्रचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि जिस देश में अनेक भाषाएं, लिपियां, बोलियां, व्याकरण और गाथाएं हों, वह देश सांस्कृतिक रूप से उतना ही समृद्ध होता है.
केन्द्रीय गृह अमित शाह ने कहा कि आचार्य जी ने भारतीय भाषाओं के संवर्धन, देश के गौरव का विश्वभर में प्रसार और देश की पहचान इंडिया की बजाय भारत से होने पर जोर दिया था. अपने कर्मों से भारत, भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाओं और भारत की पहचान के प्रतिबिंब बने.
अमित शाह ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एक युग पुरुष थे, जिन्होंने एक नए विचार और नए युग का प्रवर्तन किया. कर्नाटक में जन्मे और अपने कर्मों से भारत, भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाएं और भारत की पहचान के ज्योतिर्धर बने. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शायद ही यह सम्मान किसी ऐसे धार्मिक संत को मिला होगा, जिन्होंने धर्म के साथ-साथ देश की पहचान की व्याख्या विश्व भर में की हो. उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी के शरीर का कण-कण और जीवन का क्षण-क्षण धर्म, संस्कृति और राष्ट्र को समर्पित रहा.
देश की पहचान इंडिया की बजाय भारत
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि उन्हें कई बार आचार्य श्री विद्यासागर जी का सान्निध्य मिला है और हर बार आचार्य जी ने भारतीय भाषाओं के संवर्धन, देश के गौरव का विश्वभर में प्रसार और देश की पहचान इंडिया की बजाय भारत से होने पर जोर दिया. अमित शाह ने कहा कि G-20 सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत लिख कर, मोदी जी ने विद्यासागर जी के विचारों को जमीन पर उतारने का काम किया. प्रधानमंत्री मोदी जी ने आचार्य जी के विचार को जमीन पर उतारा और उनके संदेश का अनुकरण करने का काम किया.
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आचार्य जी ने जीवन के अंतिम क्षण तक तपस्या का मार्ग नहीं छोड़ा. आचार्य जी ने न केवल जैन धर्म के अनुयायियों को बल्कि जैनेत्तर अनुयायियों को भी अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा से मोक्ष का मार्ग बताने का काम किया. अमित शाह ने कहा कि यह बोलने वाले बहुत लोग मिलते हैं कि धर्म, राष्ट्र और समाज के लिए जीवन का हर क्षण समर्पित होना चाहिए. लेकिन पूरा जीवन इसी तरह जीने वाले लोग कभी-कभार ही दिखते हैं और आचार्य जी का जीवन ऐसा ही रहा.
वसुधैव कुटुंबकम और अहिंसा परमो धर्म:
केन्द्रीय गृह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत वसुधैव कुटुंबकम और अहिंसा परमो धर्म: के सिद्धांतों का प्रचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि आचार्य जी को दी गई यह कार्यांजलि संत परंपरा का सम्मान है. आचार्य जी का प्रस्तावित समाधि स्मारक विद्यायतन युगों-युगों तक आचार्य जी के सिद्धांतों, संदेशों और उपदेशों के प्रचार का स्थान बनकर रहेगा. जिस संत ने अपना पूरा जीवन विद्या की उपासना में बिताया, उनकी समाधि का नाम विद्यायतन के अलावा कुछ और नहीं हो सकता.
अमित शाह ने कहा कि इस अवसर पर मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में निः शुल्क कन्या विद्यालय का भी शिलान्यास किया गया है. इस विद्यालय में कौशल विकास और रोजगार दोनों सम्मिलित होंगे और अध्यापन कार्य मातृभाषा में होगा. आचार्य जी के 108 चरण चिह्नों का भी लोकार्पण हुआ है, जो त्याग, तपस्या और संयम के जीवन का संदेश देंगे.
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत की संत परंपरा बहुत समृद्ध है. देश को जब जिस भूमिका की ज़रूरत पड़ी, संत परंपरा ने उस भूमिका का निर्वहन किया. संतों ने ज्ञान का सृजन किया, देश को एकता के सूत्र में बांधा और जब गुलामी का कालखंड था, तब संतों ने भक्ति के माध्यम से राष्ट्र चेतना की लौ जलाए रखी. देश का शासन और देश जब आज़ादी के बाद पाश्चात्य विचारों से प्रभावित होकर चलने लगा, तब विद्यासागर जी महाराज एकमात्र आचार्य थे जिन्होंने भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति से खुद को जोड़े रखा.
राष्ट्र की अनमोल धरोहर संत परंपरा
अमित शाह ने कहा कि जैन मुनियों ने उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर से लेकर कर्नाटक के श्रवणबेलगोला तक, बिहार के राजगीर से लेकर गुजरात के गिरनार तक हर जगह पैदल घूम कर अपने कर्मों से अपने त्याग का संदेश दिया. उन्होंने बताया कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने मूकमाटी नामक हिन्दी महाकाव्य की रचना की, जिस पर अनेक लोगों ने शोध और निबंध लिखे हैं. सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के आचार्य जी के संदेश का पालन करते हुए उनके अनुयायियों ने मूकमाटी का कई भाषाओं में अनुवाद किया है. मूकमाटी में धर्म, दर्शन, नीति और अध्यात्म को बहुत गहराई से समझाया गया है और इसमें शरीर की क्षणभंगुरता का वर्णन एवं राष्ट्र प्रेम का भी संदेश है.
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी और आचार्य जी के बीच बहुत ही आत्मीय संवाद रहा है. आचार्य विद्यासागर जी का संदेश, प्रवचन और लेखन जैन समुदाय के साथ-साथ पूरे राष्ट्र के लिए एक अनमोल धरोहर है.