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Republic Day 2024: उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक को पद्म भूषण के सम्मान से सम्मानित किया गया.

उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक भारतीय राजनीति के मुखर नेताओं में से एक हैं। नाइक को पद्म भूषण के सम्मान से नवाजा गया. अपने लंबे सामाजिक और राजनीतिक जीवन में उन्होंने जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दी। सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बावजूद राम नाईक अपनी कार्यशैली के कारण लोगों के मन में बने हुए हैं।

 

करीब चार दशक तक सक्रिय राजनीति में रहने के बाद उन्होंने साल 2014 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद की शपथ ली. वह 2019 तक इस पद पर रहे. हालांकि, इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में वापसी की भी घोषणा की.

 

राम नाईक की शिक्षा

पूर्व राज्यपाल राम नाईक का जन्म 16 अप्रैल 1934 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा जिले के अतपाडी गांव में हुई। इसके बाद 1954 में उन्होंने पुणे के कॉमर्स कॉलेज से बीकॉम की डिग्री ली। उन्होंने 1958 में मुंबई के किशनचंद चेलाराम डिग्री कॉलेज से एलएलबी में मास्टर डिग्री की। इसके बाद उन्होंने अकाउंटेंट जनरल के कार्यालय में अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में काम करना शुरू किया। बाद में उनकी पदोन्नति हुई और 1969 तक वे कंपनी सचिव और प्रबंधन सलाहकार के पद तक पहुँच गये।

 

राजनीतिक यात्रा

राम नाइक बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) से जुड़े थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1964 में भारतीय जनसंघ से की थी। हालांकि, 1978 में वह बोरीवली से विधायक चुने गए और लगातार तीन बार महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे। इसके बाद वह 1980 से 1986 तक बीजेपी के मुंबई अध्यक्ष पद पर रहे. फिर पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र का उपाध्यक्ष बनाया.

 

1989 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1991 और 1999 में भी उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद पार्टी में उनका कद बढ़ गया. राम नाईक अटल बिहारी की सरकार में तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री थे।

 

अभिनेता गोविंदा चुनाव हार गए

हालांकि, 2004 के लोकसभा चुनाव में राम नाइक को मुंबई नॉर्थ सीट से अभिनेता गोविंदा ने हरा दिया था। इस हार का अफसोस उन्हें जीवन भर रहा, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब में भी किया है. नौ साल बाद 2013 में उन्होंने लोकसभा चुनाव से संन्यास ले लिया. बाद में राम नाईक को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।

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