ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) ने दुनिया में दहशत पैदा कर दी है। लोगों के मन में सवाल उठने लगा है कि क्या एक बार फिर कोरोना जैसा कहर लोगों पर टूटने वाला है। कोरोना महामारी से अभी दुनिया पूरी तरह उबरी नहीं है कि HMPV नाम के इस नए वायरस ने लोगों को डरा दिया है। भारत में इसके चार मामले सामने आ चुके हैं। दो मामले कर्नाटक में मिले हैं, तीसरा केस गुजरात के अहमदाबाद में और चौथा कोलकाता में सामने आया है।
HPMV को लेकर सरकार ने कसी कमर
देश और दुनिया भर में स्थिति को बिगड़ता देख अब केंद्र सरकार पूरी तरह से अलर्ट हो गई है। अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से HMPV को लेकर लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। इस एडवाइजरी में बताया गया है कि लोगों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। भारत में HMPV के दस्तक के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इसे लेकर पैनिक होने की जरुरत नहीं है। ये वायरस भारत में पहले से ही मौजूद है। फिलहाल हेल्थ मिनिस्ट्री पूरे मामले को मॉनिटर कर रही है और लोगों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
एडवाइजरी में क्या कहा गया है?
- एडवाइजरी में अस्पतालों से सभी तरह के सांसों से संबंधी संक्रामक बीमारियों के लिए रियल टाइम रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा गया है। साथ ही सीवर एक्यूट रिस्पाइरेटरी इंफेक्शन से संबंधित इन मामलों को तत्काल इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम वाले पोर्टल में एंट्री करने के लिए कहा गया है।
- एडवाइजरी में कहा गया कि सीवर एक्यूट रिस्पाइरेटरी इंफेक्शन के सबी मामले और इंफ्लूएंजा के सभी मामलों को आईएचआईपी पोर्टल में सूचीबद्ध करें।
- एडवाइजरी के मुताबिक अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जब भी कोई इस तरह के संदेहास्पद मरीज आए तो उनके आइसोलेशन की व्यवस्था हो और तत्काल प्रभाव से उनका इलाज प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि संक्रामक बीमारी का प्रसार अन्य में न हो।
- अस्पतालों से कहा गया है कि वह निजी अस्पतालों के साथ समन्वय स्थापित कर संक्रामक बीमारियों की सही रिपोर्टिंग और उपचार सुनिश्चित करें।
- हर हाल में मरीज की सुरक्षा सुनिश्चित हो और अस्पतालों में इलाज के लिए कोई असुविधा न हो।
- एडवाइजरी के मुताबिक सभी अस्पतालों के सीएमओ से कहा गया है कि हल्के-फुल्के लक्षणों के लिए वे अस्पतालों में पैरासिटामोल, एंटीहिस्टामिन, ब्रोंकोडायलेटर, कफ सीरफ का स्टोरेज कर लें ताकि इन सबकी कोई कमी न रहे।
हेल्पलाइन नंबर जारी
एडवाइजरी में कहा गया है कि बीमारी को लेकर समुचित हाईजीन का पूरा ख्याल रखा जाए. इसके अलावा गंभीर मरीजों के लिए किसी भी तरह से वेंटिलेटर की कमी न हो, इसके लिए पहले से सुनिश्चित कर लें। हर तरह से डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को तैयार कर के रखें। सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी बनाया है।
हेल्पलाइन नंबर है –helpline no. of DGHS,HQ – 011-22307145 or 011-22300012
वहीं phw4delhi@yahoo.com पर फीडबैक देने को कहा गया है।
कोलकाता में मिला चौथा केस
वहीं, कोलकाता में HMP वायरस से पीड़ित साढ़े 5 महीने की बच्ची ठीक हो गया है। उसका एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था। स्वस्थ होने के बाद वह मुंबई लौट गई है। 12 नवंबर को मुंबई निवासी एक बच्ची को बाईपास के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह हवाई मार्ग से मुंबई से कोलकाता आई थी। उसे फीवर और सांस लेने में कठिनाई हो रही था। इसके बाद हालत बिगड़ने पर बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वह HMV वायरस से संक्रिमत पाई गई। 10-12 दिन के इलाज के बाद बच्ची ठीक हो गया, जिसके बाद वह वापस मुंबई लौट गई है।
डॉक्टर ने क्या कहा?
बच्चे की डॉक्टर सहेली दासगुप्ता ने कहा कि पिछले छह महीनों में दिसंबर में यह एक बच्ची HMVP वायरस पॉजिटिव था। इसके अलावा पिछले साल भी उनके पास ऐसे एक-दो मामले आए थे। इस वायरस से डरने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इलाज मिलने पर मरीज 10 से 12 दिन में ठीक हो जाएगा। सावधान रहना चाहिए। जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है उनके संक्रमित होने की संभावना कम होती है।
क्या ये कोविड-19 जितना खतरनाक है, भारत में जारी हुई एडवाइजरी, जानें लक्षण
कोविड-19 के बाद चीन से एक और वायरस भारत में दस्तक दे चुका है। इस वायरस का नाम है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस जिसे HMPV के नाम से लोग जानते हैं। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) कोई नया नहीं है, लेकिन कोविड-19 के बाद जिस तरह के हालात पैदा हुए उसे लेकर सतर्कता बरतना जरूरी है। ये वायरस आमतौर पर सर्दियों और ठंडे मौसम में होता है। भारत में अब तक इसके 3 मामले सामने आ चुके हैं। ICMR ने अपनी रूटीन सर्विलांस के जरिए कर्नाटक में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के 2 मामलों की पुष्टि की है। वहीं एक मामला गुजरात से भी सामने आया है। HMPV को लेकर भारत में केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारें भी अलर्ट हो गई हैं। अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। जिसके बाद आपको ये जानना जरूरी है कि इस HMPV वायरस के लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है? एचएमपी को लेकर हमने डॉक्टर आर एस मिश्रा, प्रिंसिपल डायरेक्टर और हेड, डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन, फॉर्टिस एसकॉर्ट होस्पिटल से खास बातचीत की।
एचएमपी वायरस क्या है?
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) एक ऐसा वायरस है जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसे पहली बार 2001 में पहचाना गया था और ये वायरस पैरामाइक्सोविरिडे फैमिसी से संबंधित है, जिसमें रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) और पैराइन्फ्लुएंजा वायरस जैसे वायरस भी शामिल हैं। HMPV सभी उम्र के लोगों को संक्रमित कर सकता है, लेकिन यह सबसे अधिक छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्राणाली वाले लोगों में देखा जाता है।
HMPV दूसरे सांस संबंधी वायरस के साथ कई कॉम्प्लीकेशन पैदा कर सकता है। खासतौर से ऊपरी और निचले श्वसन मार्ग में संक्रमण पैदा कर सकता है। HMPV संक्रमण हल्के सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों से लेकर सीरियस निमोनिया या ब्रोंकियोलाइटिस तक हो सकता है, खासकर जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है।
एचएमपी वायरस के लक्षण और संकेत
एचएमपीवी संक्रमण के लक्षण अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों जैसे कि सामान्य सर्दी या फ्लू से मिलते जुलते हो सकते हैं। शुरुआत में हल्के लक्षणों से लेकर गंभीर सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं।
- बुखार
- खांसी
- नाक बहना
- गले में खराश
- मांसपेसियो में दर्द
- सिरदर्द
- थकान
- साँस की तकलीफ
- घरघराहट
कुछ मामलों में, खास तौर पर छोटे बच्चों और बुजुर्गों में, HMPV ज्यादा गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है जैसे ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में छोटे वायुमार्ग की सूजन), निमोनिया, सांस लेने में तकलीफ जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है।
एचएमपी वायरस कैसे फैलता है?
- संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से
- हवा में फैली साँस की बूंदों के जरिये
- संक्रमित एरिया में जाने या छूने से
HMPV मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर सांस की बूंदों के जरिए फैलता है। अगर आप इंफेक्टेड एरिया में जाते हैं और उसके संपर्क में आते हैं, जहां वायरस थोड़े समय के लिए जीवित रह सकता है। तो आप संक्रमित हो सकते हैं। वायरस सर्दियों और वसंत के महीनों के दौरान सबसे अधिक सक्रिय होता है, ठीक वैसे ही जैसे RSV जैसे दूसरे सांस संबंधी वायरस एक्टिव होते हैं।
संक्रमित होने के कितने दिन में नजर आते हैं लक्षण
कोविड-19 की तरह, एचएमपीवी से संक्रमित लोग आमतौर पर लक्षणों की शुरुआत से 1-2 सप्ताह की अवधि के लिए संक्रामक होते हैं। हालांकि वे लंबे समय तक वायरस फैलाना जारी रख सकते हैं। खासकर अगर उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो।
एचएमपी वायरस की रोकथाम
- साफ सफाई बरते
- २० सेकेंड के लिए साबुन और पानी से हाथ धोये
- मास्क पहन कर रखे
- भीड़ भाड़ वाली जगहों पर न जाये
- खांसते और छिकते समय मुंह को कवर रखे
- अक्सर छुई जाने वाली सतहों को सेनेताइज़ करे
एचएमपी वायरस का निदान
एचएमपीवी संक्रमण के बारे में आमतौर पर क्लीनिकल जांच और लैब टेस्टिंग से पता लगाया जा सकता है। हालांकि इसके लक्षण अन्य सांस संबंधी संक्रमणों के जैसे हो सकते हैं। आप संक्रमण का पता लगाने के लिए ये टेस्ट करवा सकते हैं।
- RT-PCR (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन)- यह गोल्डन टेस्ट है जो रोगी के सांस जैसे नाक की सूजन, गले की सूजन से लिए गए नमूनों से वायरस का पता लगाता है।
- वायरल कल्चर- कुछ मामलों में, वायरल कल्चर को लैब्स में ग्रो किया जा सकता है, लेकिन यह टाइम टेकिंग होता है।
- एंटीबॉडी परीक्षण- हालांकि ये एक्यूट इंफेक्शन के लिए उपयोग नहीं होता इससे पिछले संक्रमणों की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
एचएमपी वायरस का उपचार
वर्तमान में, एचएमपीवी संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है। शुरुआत में इसकी सही देखभाल करने से स्थिति को कंट्रोल किया जा सकता है।
- भरपूर आराम करें
- डिहाइड्रेशन से रोकने के लिए लिक्विड ज्यादा लें
- एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं का उपयोग करके बुखार और दर्द से राहत
- अधिक गंभीर मामलों में, विशेष रूप से निमोनिया या सांस लेने में समस्या होने पर ऑक्सीजन थेरेपी दी जा सकती है।
- उच्च जोखिम वाले रोगियों, जैसे कि शिशुओं, बुजुर्गों, या कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को सही देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
- एंटीबायोटिक्स वायरल संक्रमण के खिलाफ प्रभावी नहीं हैं, और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या अन्य प्रतिरक्षादमनकारी उपचार आमतौर पर तब तक नहीं किए जाते हैं जब तक कि विशेष रूप से संकेत न दिया जाए।
COVID-19 वायरस और HMPV की तुलना
हालांकि HMP वायरस और COVID-19 (SARS-CoV-2 वायरस के कारण) दोनों ही श्वसन वायरस हैं, लेकिन उनके बीच कई मुख्य अंतर और समानताएं हैं।
COVID-19 और HMPV में समानताएं
- संक्रमण का तरीका: HMPV और SARS-CoV-2 दोनों ही मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलते हैं।
- लक्षण- दोनों ही बुखार, खांसी और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं, जिससे निमोनिया सहित अधिक गंभीर श्वसन संबंधी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- रोकथाम: मास्क पहनना, हाथ साफ रखना और संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचना जैसे निवारक उपाय दोनों वायरस के लिए प्रभावी हैं।
COVID-19 और HMPV में अंतर
- वायरस फैमिली- HMPV पैरामाइक्सोविरिडे परिवार से संबंधित है, जबकि SARS-CoV-2 एक कोरोनावायरस है।
- इंक्यूबेशन टाइम- COVID-19 के लिए इंक्यूबेशन टाइम पीरियड लगभग 2-14 दिन होता है, जबकि HMPV के लिए लगभग 3-6 दिन।
- गंभीरता और मृत्यु दर- COVID-19 ने उच्च मृत्यु दर दिखाई है, विशेष रूप से वृद्ध वयस्कों और किसी बीमारी से पीड़ित लोगों में। इसके विपरीत, HMPV स्वस्थ वयस्कों में हल्की बीमारी का कारण बनता है, हालांकि यह छोटे बच्चों और बुजुर्गों जैसी कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।
- वैश्विक प्रसार- COVID-19 ने वैश्विक महामारी का कारण बना है, जिससे व्यापक सामाजिक प्रभाव, लॉकडाउन और जीवन का महत्वपूर्ण नुकसान हुआ है। HMPV, एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता होने के बावजूद, समान व्यापक प्रकोपों का कारण नहीं बना है और यह काफी हद तक स्थानीय प्रकोपों वाला मौसमी वायरस है।
- वैक्सीन की उपलब्धता- COVID-19 के लिए टीके विकसित किए गए हैं और व्यापक रूप से वितरित किए गए हैं, जबकि HMPV के लिए अभी तक कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है।