Unnao:-तहसील क्षेत्र में पुरवा मौरावां रोड पर तीन किमी दूरी पर स्थित महाभारतकालीन बिल्लेश्वर महादेव मंदिर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है जिसके शिवलिंग को आज अज्ञात व्यक्ति द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया।
लोगों ने बम भोले नारे लगाते हुए तहसील को घेरा, न्याय दिलाने के मांग की।
शिवलिंग की प्रथम पूजा का रहस्य आज भी बरकरार
किदवंतियों के अनुसार, बिल्व पत्र की झाडिय़ों में गाय द्वारा दूध गिराने पर बंजारों ने शिवलिंग खोजा था। विशेष बात यह है कि शिवलिंग की प्रथम पूजा का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया। ऐसी मान्यता है कि अजर अमर अश्वत्थामा द्वारा शिवलिंग की प्रथम पूजा की जाती है। यही कारण है कि भक्तगण सुबह चार बजे के बाद ही मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं। मंदिर के पुजारी गोपाल गिरी व गुड्डू बाबा बताते हैं कि शिवलिंग सुबह पूजित मिलता है।
जलाभिषेक के लिए जुटती है भीड़
सावन माह में स्थानीय लोगों के अलावा आसपास के जनपदों से भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक करने आते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार को मंदिर परिसर में भक्तों के लिए कतारबद्ध ढंग से उन्हें भोले के दर्शन कराने की व्यवस्था की जाती है। इस मौके पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही पेयजल की भी व्यवस्था की जाती है। मंदिर की सफाई व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाता है। पुलिस प्रशासन भी तैनात रहता है।
धनुषाकार सरोवर में श्रद्धालु करते हैं स्नान
जनपद मुख्यालय से मंदिर की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। पुरवा तहसील मुख्यालय से पूर्व दिशा में तीन किमी दूर मंदिर है। एक ही चबूतरे पर मुख्य मंदिर के चारों ओर अर्धचंद्राकार रचना में एक दर्जन मंदिर बने हुए हैं। मुख्य मंदिर के सामने धनुषाकार सरोवर में कमल के पुष्पों की छटा बड़ी ही दर्शनीय रहती है। सरोवर को पाप क्षयतकुंड कहा जाता है। जिसमे तीन तरफ पक्की सीढिय़ां बनी हुई हैं। यहां आने वाले भक्त सरोवर में स्नान करना नहीं भूलते हैं। सरोवर के बीच में मंदिर व तीर आकार का एक पुल बना है।
जनपद मुख्यालय से मंदिर की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। पुरवा तहसील मुख्यालय से पूर्व दिशा में तीन किमी दूर मंदिर है। एक ही चबूतरे पर मुख्य मंदिर के चारों ओर अर्धचंद्राकार रचना में एक दर्जन मंदिर बने हुए हैं। मुख्य मंदिर के सामने धनुषाकार सरोवर में कमल के पुष्पों की छटा बड़ी ही दर्शनीय रहती है। सरोवर को पाप क्षयतकुंड कहा जाता है। जिसमे तीन तरफ पक्की सीढिय़ां बनी हुई हैं। यहां आने वाले भक्त सरोवर में स्नान करना नहीं भूलते हैं। सरोवर के बीच में मंदिर व तीर आकार का एक पुल बना है।
Report-: Govind Mishra