Breaking News

भारत का विरोध करना पाकिस्तान को बड़ा भारी,BRICS के पार्टनर कंट्रीज की लिस्ट में भी जगह नहीं

पाकिस्तान के लिए BRICS (Brazil, Russia, India, China, South Africa) देशों के समूह में शामिल होने का सपना टूट गया है। पाकिस्तान की ब्रिक्स की सदस्यता प्राप्त करने की उम्मीदों को भारत के सख्त विरोध ने चकनाचूर कर दिया है।

न सिर्फ पाकिस्तान को BRICS की सदस्यता नहीं मिली, बल्कि उसे BRICS के पार्टनर कंट्रीज की सूची में भी स्थान नहीं मिल पाया है। ब्रिक्स देशों के समूह में पाकिस्तान को सदस्यता मिलने की उम्मीदें कुछ दिनों पहले तक बनी हुई थीं, खासकर चीन और रूस के समर्थन की वजह से। लेकिन भारत ने इसका कड़ा विरोध किया और पाकिस्तान को इस समूह में जगह मिलने की संभावना को समाप्त कर दिया। भारत का यह विरोध पाकिस्तान के लिए एक बड़ा कूटनीतिक झटका साबित हुआ है। इसी बीच, तुर्की ने BRICS पार्टनर कंट्रीज की सूची में जगह बनाकर एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता प्राप्त की है। BRICS के नए पार्टनर देशों की सूची रूस, जो BRICS के सबसे प्रभावशाली सदस्य देशों में से एक है, ने हाल ही में 13 देशों को BRICS के पार्टनर कंट्रीज के रूप में स्वीकार करने की घोषणा की है। इन देशों में अल्जीरिया, बेलारूस, बोलिविया, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाखस्तान, मलेशिया, थाईलैंड, तुर्की, युगांडा, नाइजीरिया, उज्बेकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं। यह 13 नए पार्टनर देश 1 जनवरी 2025 से BRICS के पार्टनर कंट्रीज बन जाएंगे। पाकिस्तान, जो पहले से ही चीन और रूस के समर्थन पर निर्भर था, इस महत्वपूर्ण समूह में जगह बनाने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। भारत का विरोध और तुर्की की सफलता भारत का विरोध पाकिस्तान की BRICS में सदस्यता के प्रयासों के लिए सबसे बड़ा अवरोध साबित हुआ। पाकिस्तान ने BRICS में शामिल होने के लिए चीन और रूस से समर्थन प्राप्त किया था, लेकिन भारत ने साफ तौर पर इसका विरोध किया। भारत का यह विरोध पाकिस्तान की विदेश नीति के कमजोर पक्ष को उजागर करता है। भारत के सख्त रुख के कारण पाकिस्तान के लिए BRICS का दरवाजा बंद हो गया। इसके विपरीत, तुर्की ने इस मौके का सही इस्तेमाल किया और BRICS पार्टनर कंट्रीज की सूची में स्थान प्राप्त किया। तुर्की, जो पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ रहा था, अब अपने कूटनीतिक रुख में बदलाव लाकर भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहा है। माना जा रहा है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन के कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ रिश्ते सुधारने के बाद भारत ने तुर्की की BRICS पार्टनर कंट्री बनने की दावेदारी का विरोध नहीं किया। यह तुर्की के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता है और यह इस बात का उदाहरण है कि किस तरह राजनयिक लचीलापन और रणनीति बड़े देशों के साथ रिश्तों को सुदृढ़ कर सकते हैं। राजनयिक लचीलापन और रणनीतिक समायोजन विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की की BRICS में भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि कूटनीतिक लचीलापन और रणनीतिक समायोजन के माध्यम से देशों को महत्वपूर्ण कूटनीतिक लाभ मिल सकता है। तुर्की ने अपने कूटनीतिक रिश्तों में लचीलापन दिखाते हुए भारत के साथ अपने पुराने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने तुर्की के पक्ष में सहमति जताई। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अपने राजनयिक प्रयासों में उस लचीलापन और समायोजन का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे उसे इस अवसर का लाभ मिल सकता था। पाकिस्तान को अब अपनी कूटनीतिक रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। पाकिस्तान पर कड़ी आलोचना पाकिस्तान में भी इसकी कड़ी आलोचना हो रही है। पाकिस्तान के विदेश मामलों के विशेषज्ञों ने इसे पाकिस्तान की कूटनीतिक विफलता करार दिया है। पाकिस्तान की एक प्रमुख विदेशी मामलों की विशेषज्ञ, मरियाना बाबर, ने कहा, “पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय पूरी तरह से असफल रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की विदेश नीति के कमजोर फैसलों के कारण नाइजीरिया जैसे देशों ने भी BRICS पार्टनर कंट्री बनने में सफलता प्राप्त की, जबकि पाकिस्तान का नाम इस सूची से बाहर रह गया।

BRICS में भारत का सख्त रुख BRICS में नए सदस्य देशों को शामिल करने के लिए सभी संस्थापक देशों की सहमति जरूरी होती है। इसमें भारत की भूमिका निर्णायक रही है, क्योंकि भारत ने पाकिस्तान की BRICS में सदस्यता की दावेदारी का कड़ा विरोध किया। यह तब हुआ जब चीन और रूस ने पाकिस्तान का समर्थन करने की कोशिश की थी। पाकिस्तान के लिए यह एक कड़ा संदेश है कि कूटनीति में भारत का रुख हमेशा सख्त और दृढ़ रहता है, खासकर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के महत्वपूर्ण मुद्दों की होती है। भारत ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर दिया कि ब्रिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को स्वीकार करना, भारत की रणनीति के खिलाफ है। पाकिस्तान को अगर BRICS में सदस्यता मिल जाती, तो… विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को अगर BRICS में सदस्यता मिल जाती, तो इसके माध्यम से उसे कई लाभ मिल सकते थे। BRICS के सदस्य देशों के साथ पाकिस्तान को व्यापार और निवेश के क्षेत्र में नए अवसर मिल सकते थे। BRICS का सदस्य बनने से पाकिस्तान को विभिन्न वैश्विक मंचों पर भी अधिक प्रभाव मिल सकता था। इसके अलावा, BRICS के सदस्य देशों से आर्थिक सहायता और सहयोग पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकता था। हालांकि, भारत के सख्त रुख और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की कमजोर रणनीति ने उसे इस अवसर से वंचित कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत है। इसे अपनी विदेश नीति को अधिक लचीला और समायोजनीय बनाना होगा, ताकि भविष्य में इसे इस तरह के अवसरों से वंचित नहीं होना पड़े। कूटनीति और राजनयिक रणनीति की अहमियत को समझते हुए पाकिस्तान को अपनी नीति में समायोजन करने की आवश्यकता है।

About ARYAN CHAUDHRI

ARYAN CHAUDHRI
Additional Chief Editor Mo. NO.-06390315006 Email - mr.aryan8005@gmail.com 1.Contact for Advertisement. 2.Contact for Latest News Update of your area. 3.Contact for Join Our Channel. 4.We are 24×7 hours with you.

Check Also

Russia Ukrain war: रूस और यूक्रेन ने एक दूसरे पर मिसाइल हमलों की बौछार शुरू कर दी, इसमें कम से कम 1 व्यक्ति की मौत हो गई और 9 लोग घायल हो गए, सैकड़ों इमारतें ध्वस्त

कीवः रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के 3 साल होने में अब केवल 2, 3 …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *