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असम में 300 फीट गहरी रैट होल माइनिंग में 8 मजदूर अभी भी फंसे, एक मजदूर का शव बरामद, ऑपरेशन में आर्मी, नेवी, वायुसेना, एनडीआरएफ और लोकल बचाव दल लगा

असम में 300 फीट गहरी रैट होल माइनिंग में 8 मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं. वहीं एक मजदूर के शव को बरामद कर लिया गया है. इस ऑपरेशन में आर्मी, नेवी, वायुसेना, एनडीआरएफ और लोकल बचाव दल लगा हुआ है. यह हादसा 6 जनवरी को सुबह 7 बजे हुआ था. जिसके बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

रेस्क्यू में अब एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर भी जुट गए हैं. मंगलवार रात ऑपरेशन रोक दिया गया था. सुबह फिर से रेस्क्यू शुरू किया गया. भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स भी मौजूद हैं. वहीं एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी मदद कर रही हैं.

कैसे हुआ हादसा?

जहां ये हादसा हुआ वो एक रैट माइनर्स की खदान है.खुदाई के दौरान अचानक पानी भर गया. जिससे मजदूर खदान से बाहर नहीं निकल पाए. इसमें करीब 100 फीट तक पानी भर गया. फिलहाल खदान में भरे पानी को दो मोटर की मदद से निकाला जा रहा है. वहीं इस पूरे मामले में कारवाई करते हुए पुलिस ने खदान के मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार कर लिया है.

खदान से कैसे किया जा रहा है रेस्क्यू?

300 फीट गहरी खदान में गोताखोरों को ट्रॉली के जरिए रेस्क्यू करने के लिए भेजा जा रहा है. इसके लिए क्रेन का इस्तेमाल किया जा रहा है. सेना के जवानों ने घटनास्थल के पास टंपरेरी टेंट लगाया हुआ है. रेस्क्यू का सारा सामान वहीं मौजूद है. नेवी के डाइवर्स खदान में गोता लगाकर मजदूरों को ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं इस ऑपरेशन में एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट C-130 भी रेस्क्यू में मदद के लिए लगाया गया है. साथ ही इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, लोकल अधिकारियों और माइनिंग एक्सपर्ट की टीमों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. खदान में फंसे मजदूरों का पता लगाया जा रहा है.

रैट होल माइनिंग क्या है?

रैट होल माइनिंग एक प्रकार की खनन तकनीक है, जिसमें संकरे और गहरे गड्ढे खोदकर खनिजों का निकासी किया जाता है. यह तकनीक आमतौर पर छोटे पैमाने पर खनन में प्रयोग की जाती है, जहां बड़े मशीनों का उपयोग करना संभव नहीं होता है. रैट होल माइनिंग में मजदूर संकरे गड्ढों में घुसकर खनिजों को निकालते हैं, जो अक्सर खतरनाक और असुरक्षित होता है. इस तकनीक का उपयोग अक्सर अवैध या अनियंत्रित खनन में किया जाता है, जो पर्यावरण और मजदूरों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है.

रैट होल माइनिंग नाम के प्रोसेस का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में होता रहा है. झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है. उमरंगसो कोयला खदान में फंसे मजदूरों के नाम गंगा बहादुर श्रेठ, हुसैन अली, जाकिर हुसैन, सर्पा बर्मन, मुस्तफा शेख, खुसी मोहन राय, संजीत सरकार, लिजान मगर और सरत गोयारी है.

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