सुप्रीम कोर्ट में आज (15 अक्टूबर) जस्टिस क्लॉक लगाई गई है. यह जस्टिस क्लॉक जनता में जागरूकता पैदा करने के लिए उठाया गया एक कदम है. इस जस्टिस क्लॉक का मकसद न्यायिक क्षेत्र के बारे में जनता को जानकारी देना है. न्यायिक क्षेत्र की अलग-अलग योजनाओं का विज्ञापन करना है. साथ ही जनता को न्यायिक क्षेत्र से जुड़े क्षेत्रों की स्थिति बताना है.
इस जस्टिस क्लोक पर शीर्ष जिला न्यायालयों के बारे में जानकारी दी गई है. इस क्लॉक से जानकारी मिलती है कि जिला न्यायलयों में 2, 2-5 और 10 साल से अधिक पुराने मामलों का सबसे ज्यादा निपटारा किया गया है. साथ ही नागरिकों के लिए कानूनी सहायता कार्यक्रम और न्याय तक पहुंच जैसी योजनाओं का लाभ उठाए जा सकने वाली जानकारी को भी इस क्लॉक में प्रदर्शित किया जाएगा.
क्या होती है जस्टिस क्लॉक
जस्टिस क्लॉक कोई समय देखने की घड़ी नहीं है. बल्कि यह एक ऐसा डिस्पले है जो कोर्ट के बारे में जानकारी देता है. सुप्रीम कोर्ट के बाहर लगी यह जस्टिस क्लॉक जानकारी देगी कि सुप्रीम कोर्ट में कितने केस पेंडिंग हैं? कितने दिन, महीने और साल पुराने केस पेंडिंग हैं? कोर्ट में कब और कितने केस दायर हुए हैं. साथ ही यह जानकारी भी जनता को आराम से इस क्लॉक की मदद से मिलेगी की कोर्ट ने कितने केसों का निपटारा किया.
कैसे किया गया डिजाइन?
पूरे 25 हाईकोर्ट में कुल 39 जस्टिस क्लॉक लगी हुई हैं. ई-समिति ने हर एक क्लोक के लिए 13 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) ने इसको डिजाइन किया है. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड की मदद से बनाए गए डेटाबेस से जनता को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए LED डिस्प्ले मैसेज साइन बोर्ड सिस्टम स्थापित किया गया है. जो लगभग 10×7 फीट का है.
इस डिस्प्ले बोर्ड पर लगा होता है कि अदालतों ने कितने केस निपटाए. अदालत परिसरों में दी जाने वाली सुविधा और सेवाओं की जानकारी देगा. साथ ही जनता को विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति और बाकी जानकारी देता है जिससे नागरिकों को फायदा होगा.