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रंजीत सावरकर ने अपनी नई किताब के जरिए महात्मा गांधी के पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी आपत्ति जताई, गोडसे ने महात्मा गांधी को नहीं मारा, हमें जांच करनी चाहिए कि वे लोग कौन थे.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से एक दिन पहले आज सोमवार को उन पर आई किताब से हंगामा मच गया है. इस किताब में यह दावा किया गया है कि नाथूराम गोड़से की गोली से गांधी की मौत नहीं हुई थी, उनकी मौत किसी दूसरे की गोली से हुई थी. किताब में यह भी अपील की गई है कि महात्मा गांधी के मौत के कारणों की जांच के लिए आयोग का गठन किया जाए क्योंकि उनकी हत्या के सबूत दबा दिए गए थे.

यह किताब लिखी है रंजीत सावरकर ने. महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर की नई किताब का नाम है, ‘Make Sure Gandhi Is Dead’. यह किताब आज महाराष्ट्र सदन में लॉन्च होते ही हलचल मचा दी. किताब में महात्मा गांधी की हत्या को लेकर कई सनसनीखेज दावे किए गए हैं. कल मंगलवार (30 जनवरी) को गांधी की पुण्यतिथि है.

‘गांधी के शरीर में मिली गोली अलग थी’
रंजीत सावरकर की किताब में यह दावा किया गया है कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने नहीं की थी. गांधी की हत्या किए जाने के समय गोडसे उनके सामने खड़े थे लेकिन गांधी को ऊपर की ओर गोली मारी गई. महात्मा गांधी नाथूराम की गोलियों से नहीं मरे थे. किताब के अनुसार, गोडसे की ओर से चलाई गई गोलियां और महात्मा गांधी के शरीर में मिली गोलियां दोनों अलग-अलग थीं. किताब दावा करता है, “गोडसे ने स्वीकार किया ​​था कि गोलियां उन्होंने चलाई थी, लेकिन वो गोली किसी दूसरे ने चलाई थी जिससे महात्मा गांधी की जान गई. असली गोलियां दूसरों ने चलाई थी. वहां करीब 200 लोग मौजूद थे. वहां पर सुरक्षा भी थी.” नाथूराम गोडसे अपराधी नहीं थे. वह एक पत्रकार थे. इसलिए उन्हें निशाना बनाना संभव नहीं था.

मौत की जांच के लिए बने आयोग
खास बात यह है कि रंजीत सावरकर ने किताब के जरिए महात्मा गांधी के पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी आपत्ति जताई है. कई सबूत बताते हैं कि गोडसे ने महात्मा गांधी को नहीं मारा. उनकी मृत्यु किसी और की गोली लगने से हुई थी. हमें जांच करनी चाहिए कि वे लोग कौन थे. किताब दावा करता है कि इस घटना के बाद वल्लभभाई पटेल का ग्रुप खत्म कर दिया गया.

रंजीत सावरकर का कहना है कि मेरी अपील है कि सरकार इस पर एक आयोग नियुक्त करे. गांधी जी की हत्या के सबूत दबा दिए गए. इस पूरे मामले की जांच शुरू होनी चाहिए.

नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. गोडसे को महात्मा गांधी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई. उन्हें 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गई. गोडसे के साथ उसके सहयोगी नारायण आप्टे को भी मृत्युदंड दिया गया.

 

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