दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति में कथित अनियमितता के मामले में गुरुवार रात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ़्तार कर लिया गया.
इससे पहले आम आदमी पार्टी के अहम नेता दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह गिरफ़्तार हो चुके हैं.
जब आम आदमी पार्टी के शीर्ष के सभी नेता जेल में हैं, ऐसे में पार्टी और दिल्ली की सरकार कैसे चलेगी, यह बड़ा सवाल है.
एक ऐसे सक्षम नेतृत्व को तलाशने की चुनौती है जो केजरीवाल की ग़ैरमौजूदगी में पार्टी और दिल्ली में सरकार को संभाल सके.
लोकसभा के चुनाव बिल्कुल क़रीब आ गए हैं, ऐसे में यह चुनौती और बड़ी हो गई है.
दिल्ली, पंजाब, हरियाण और गुजरात में पार्टी अपना चुनाव अभियान शुरू करने वाली थी और उसके स्टार प्रचारक केजरीवाल को होना था.
कुछ ख़बरों में कहा गया था कि गिरफ़्तारी की आशंका के बीच नेतृत्व को लेकर जिन नामों पर चर्चा चली, उनमें अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, दिल्ली सरकार में मंत्री अतिशी और सौरभ भारद्वाज के नाम शामिल हैं.
दिल्ली सरकार में अतिशी पर शिक्षा, वित्त, पीडब्ल्यूडी, राजस्व समेत सबसे अधिक पोर्टफोलियो की ज़िम्मेदारी है. उन्हें केजरीवाल का ख़ास माना जाता है.
इसी तरह सौरभ भारद्वाज भी दिल्ली कैबिनेट के प्रमुख सदस्य हैं और स्वास्थ्य और शहरी विकास जैसे कई महत्वपूर्ण पोर्टफ़ोलियो संभाल रहे हैं.
हालांकि अतिशी और सोमनाथ भारती ने पत्रकारों से कहा कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा नहीं देंगे.
अतिशी ने कहा कि ‘ज़रूरत पड़ी तो वो जेल से ही सरकार चलाएंगे. कोई भी क़ानून जेल से सरकार चलाने पर प्रतिबंध नहीं लगाता क्योंकि उन्हें कोई सज़ा नहीं हुई है. केजरीवाल मुख्यमंत्री थे, हैं और रहेंगे.’
गुरुवार का घटनाक्रम
ईडी की टीम गुरुवार की शाम दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास पर जब पहुंची तभी ये कयास लगाए जाने लगे थे कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी हो सकती है.
रात क़रीब नौ बजे आप नेता अतिशी ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी की पुष्टि की और कहा कि पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने सर्वोच्च अदालत से इस मामले में तत्काल सुनवाई की अपील की है.
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि रात में ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है.
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री आवास की पूरी तलाशी ली गई. सिर्फ 70,000 रुपये नक़द में मिले, जिसे ईडी वापस कर गई. मुख्यमंत्री जी का मोबाइल ले लिया गया और उन्हें गिरफ़्तार करके ले गए हैं. पूरे छापे में कोई ग़ैरक़ानूनी पैसा, कागज़ या सबूत नहीं मिला.”
इस बीच मुख्यमंत्री आवास से बाहर भारी संख्या में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इकट्ठा होकर नारेबाज़ी करने लगे. सीएम आवास के बाहर दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी थी.
दिल्ली पुलिस ने आप के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया. इस हंगामे के बीच ईडी केजरीवाल को ईडी हेडक्वार्टर ले गई.
दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ बताया तो पार्टी के राज्य सभा सांसद राघव चढ्ढा ने कहा कि ‘भारत में अघोषित इमरजेंसी है.’
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अरविंद केजरीवाल को आठ बार समन जारी किए थे. पिछले साल नवंबर और दिसंबर में दो, इस साल जनवरी में दो, फ़रवरी में तीन और मार्च में एक समन. इन सभी समन में केजरीवाल एक बार भी पूछताछ के लिए नहीं गए.
अरविंद केजरीवाल ने गिरफ़्तारी से अंतरिम राहत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था जिसे अदालत ने गुरुवार को ख़ारिज कर दिया. इस याचिका पर भी शुक्रवार को सुनवाई होनी है.
बीजेपी सांसद रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “यह क़ानूनी प्रक्रिया है जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई के दृष्टिकोण से हो रही है, जिसमें उन्हें न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली. क़ानून को अपना काम करने दिया जाए.”
उधर, विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा की है.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि ‘उन्हें लगता है कि इससे इंडिया गठबंधन हिल जाएगा या डिरेल हो जाएगा, वे ग़लत सोच रहे हैं… इन क़दमों से स्पष्ट हो जाता है कि बीजेपी को अपनी हार दिख रही है.’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजद नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव, सपा नेता अखिलेश यादव, एनसीपी (एससीपी) नेता शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, टीएमसी नेता कुणाल घोष समेत कई नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी की निंदा की है.
केजरीवाल का दिलचस्प राजनीतिक सफ़र
भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी और आईआईटी के छात्र रहे केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक ज़मीन 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में तैयार की थी.
साल 2002 के शुरुआती महीनों में केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा से छुट्टी लेकर दिल्ली के सुंदरनगरी इलाक़े में एक्टिविज़्म करने लगे.
यहीं केजरीवाल ने एक ग़ैर-सरकारी संगठन स्थापित किया जिसे ‘परिवर्तन’ नाम दिया गया.
उन्हें पहली बड़ी पहचान साल 2006 में मिली जब ‘उभरते नेतृत्व’ के लिए उन्हें रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिया गया.
साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में हुए कथित घोटाले की ख़बरें मीडिया में आने के बाद लोगों में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा बढ़ रहा था. सोशल मीडिया पर इंडिया अगेंस्ट करप्शन मुहिम शुरू हुई और केजरीवाल इसका चेहरा बन गए.
केजरीवाल ने अपना पहला बड़ा धरना जुलाई 2012 में ‘अन्ना हज़ारे के मार्गदर्शन में’ जंतर-मंतर पर शुरू किया.
26 नवंबर 2012 को केजरीवाल ने अपनी पार्टी के विधिवत गठन की घोषणा की. केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी में कोई हाई कमान नहीं होगा और वो जनता के मुद्दों पर जनता के पैसों से चुनाव लड़ेंगे.
केजरीवाल ने राजनीति का रास्ता चुना तो उनके गुरू अन्ना हज़ारे ने भी कह दिया कि वो सत्ता के रास्ते पर चल पड़े हैं.
शुरुआती दिनों में अरविंद को जो मिल रहा था उसे वो पार्टी से जोड़ रहे थे. उनकी ये संगठनात्मक क्षमता ही आगे चलकर उनकी सबसे बड़ी ताक़त बनी. केजरीवाल ने ऐसे स्वयंसेवक जोड़े जो भूखे रहकर भी उनके लिए काम करने के लिए तैयार थे. लाठी डंडे खाने के लिए तैयार थे.
इन्हीं स्वयंसेवकों के दम पर केजरीवाल ने 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा. राजनीति में पदार्पण करने वाली उनकी पार्टी ने 28 सीटें जीतीं. स्वयं केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित को पच्चीस हज़ार से अधिक वोटों से हराया. लेकिन उन्हें सरकार इन्हीं शीला दीक्षित की कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर बनानी पड़ी.
केजरीवाल जल्द से जल्द जनलकोपाल बिल पारित कराना चाहते थे. लेकिन गठबंधन सरकार में साझीदार कांग्रेस तैयार नहीं थी. अंततः 14 फ़रवरी 2014 को केजरीवाल ने दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया और फिर सड़क पर आ गए.
कुछ महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होने थे. केजरीवाल बनारस पहुँच गए लेकिन बनारस में केजरीवाल तीन लाख सत्तर हज़ार से अधिक मतों से हार गए.
लेकिन इसके अगले साल ही दिल्ली के लिए हुए विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 जीत कर केजरीवाल ने इतिहास बनाया और 14 फ़रवरी 2015 को फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ ली.
इस बीच राष्ट्रीय राजनीति में आम आदमी पार्टी का क़द और बढ़ा है और उसके साथ ही केजरीवाल का भी.
पंजाब में आप की सरकार है. दिल्ली के एमसीडी चुनाव में पार्टी को बहुमत मिला तो यूपी के नगर निकाय चुनावों में पार्टी के करीब 100 उम्मीदवार जीते.
पिछले गुजरात विधानसभा चुनावों में भी उसे आधा दर्जन से अधिक सीटों पर सफलता मिली और कई जगहों पर उसके उम्मीदवारों को अच्छा समर्थन मिला.
पिछले साल ही चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया.
इंडिया गठबंधन में शामिल होकर आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय मंच पर अपना कद बढ़ाने की कोशिश में है.
अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी को आम और ख़ास लोग कैसे देख रहे हैं?
केजरीवाल गिरफ्तारी के बाद से ही सुर्खियों में बने हुए हैं. सोशल मीडिया पर पत्रकार, राजनीतिक पार्टियों के नेता, वकील और आम लोग केजरीवाल और ईडी की कार्रवाई को लेकर चर्चा कर रहे हैं. कुछ लोग इस मामले को चुनावी बॉन्ड्स से भी जोड़कर देख रहे हैं.

किसने क्या कहा?
जानेमाने पत्रकार रवीश कुमार ने सोशल मीडिया पर सवाल किया कि क्या इस बार विपक्ष रहित चुनाव होने वाला है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “क्या 2024 का रिज़ल्ट घोषित हो चुका है? अब कोई भी सर्वे लाइये, कोई भी डेटा लाइये, सब सही हो जाएगा. कहीं से फ़िट कर दीजिए, सब सही हो जाएगा. 400 की जगह 543 लिख दीजिए, सही हो जाएगा.”
उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, “विपक्ष का मुख्यमंत्री भी सुरक्षित नहीं है. हेमंत सोरेन गिरफ़्तार हो चुके हैं, केजरीवाल भी गिरफ़्तार हुए. कांग्रेस का खाता बंद हो चुका है विपक्ष रहित चुनाव. जनता तय करेगी या जाँच एजेंसी.”
एक और पत्रकार रोशन कुमार ने 2013 से 2024 में दिल्ली में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के वोटशेयर का डेटा साझा करते हुए लिखा, “दिल्ली में वोटरों की एक बड़ी संख्या विधानसभा के स्तर पर केजरीवाल का समर्थन करती है लेकिन लोकसभा के लिए बीजेपी के समर्थन में है.”
उन्होंने सवाल किया, “अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद बड़ा राजनीतिक सवाल खड़ा हुआ है. क्या उनकी गिरफ्तारी से 2024 में वोटर बीजेपी से नाराज़ होगा? या फिर मोदी के प्रति प्यार इस ग़ुस्से को ख़त्म कर देगा?”
वहीं पत्रकार पूजा प्रसन्ना ने लिखा, “इलेक्टोरल बॉन्ड में सामने आई जानकारी में एक मुख्य अभियुक्त जो बाद में शराब घोटाले में गवाह बन गए, उन्होंने बॉन्ड्स के ज़रिए 52 करोड़ रुपये राजनीतिक पार्टियों को चंदे में दिए. इसमें से 34.5 करोड़ रुपये बीजेपी के खाते में गए.”
पूजा प्रसन्ना ने द न्यूज़ मिनट की एक रिपोर्ट के हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि अरविंदो फ़ार्मा के निदेशकों में से एक हैदराबाद के रहने वाले पी शरत चंद्र को 11 नवंबर 2022 को ईडी ने शराब घोटाले में गिरफ़्तार किया था.
15 नवंबर को उनकी कंपनी ने पांच करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे. 21 नवंबर को ये बॉन्ड बीजेपी ने भुनाए.
जून 2023 में शरत चंद्र इस मामले में गवाह बन गए और फिर नवंबर 2023 में अरविंदो फ़ार्मा ने बीजेपी के 25 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के ज़रिए चंदे में दिए.
रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने कुल 52 करोड़ रुपये के बॉन्ड ख़रीदे, जिसमें से 34.5 करोड़ रुपये बीजेपी के पास गए, 15 करोड़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के पास और 2.5 करोड़ रुपये तेलूगु देशम पार्टी (टीडीपी) के पास गए.
वहीं जाने माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा अरविंद केजरीवाल के गिरफ़्तार होने की ख़बरें हर तरफ़ छाई हुई हैं, लेकिन कुछ और है जिसकी तरफ़ ध्यान जाना चाहिए.
वो लिखते हैं, “स्टेट बैंक ने इलेक्टोरल ब़ॉन्ड्स देने वालों के नामों और आंकड़ों का मिलान राजनीतिक पार्टी से करने के लिए जून के आख़िर तक का, यानी चुनाव ख़त्म होने तक का वक्त मांगा था. सोचिए क्या मामला है? मेरे इंटर्न दोस्त और कई अख़बारों ने चुछ घंटों में ही आंकड़ों का मिलान कर दिया.”
“ये एसबीआई के बारे में और देश की संस्थाओं की ईमानदारी के क्या बताता है? ये ऊटपटांग टाइमलाइन किसके आदेश पर दी गई थी? शुक्र है कि सुप्रीम कोर्ट को ये नाटक दिख गया.”
जाने माने राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार सुहास पलशीकर ने लिखा, “क्या ये चुनाव आयोग के क्षेत्र में नहीं आता कि वो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाए और आईटी विभाग के अधिकारियों से कहे कि वो चुनाव के वक़्त किसी राजनीतिक पार्टी का अकाउंट फ्रीज़ न करें?”
स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेन्द्र यादव ने लिखा, “राजनीतिक सहमति असहमति अपनी जगह है, लेकिन लोकतांत्रिक मर्यादा सर्वोपरि है. अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी इस मर्यादा का चीरहरण है. इस हिसाब से तो इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले में पूरी केंद्रीय कैबिनेट को जेल में होना चाहिए. लोकतंत्र में आस्था रखने वाले हर भारतीय को इसके विरोध में खड़ा होना चाहिए.”
योगेन्द्र यादव आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में से एक रहे हैं लेकिन अब आम आदमी पार्टी में नहीं हैं.
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से दो बार कांग्रेस सांसद रहे संदीप दीक्षित ने कहा, “ये कोई बात होती है क्या कि आप रात को ये क़दम उठा रहे हैं. रात ते नौ बजे और सवेरे नौ बजे के बीच में क्या पहाड़ टूट जाएगा?”
इसे लेकर एक सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा, “ये शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित हैं. जब वो दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं तब केजरीवाल ने उनकी टीम पर आरोप लगाए थे, उन्हें बदनाम किया था. लेकिन आज केजरीवाल गिरफ्तार किए गए हैं तो इन्होंने जाकर उनके परिवार से मुलाक़ात की. यही है कांग्रेस पार्टी.”
सुप्रीम कोर्ट में वकील संजय हेगड़े ने लिखा, “अगर अरविंद केजरीवाल को ईडी ने उसी तरह गिरफ्तार किया जैसे हेमन्त सोरेन को किया और न्यायिक प्रक्रिया उन्हें बिना सुनवाई के लंबे वक्त तक क़ैद में रखने की इजाज़त देती है तो हमें ये सवाल करना चाहिए कि क्या ये क़ानून का शासन है या फिर ये शासक का क़ानून है जो यहां पर लागू है.”
फैक्ट चैकिंग वेबसाइट ऑल्टन्यूज़ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा लिखते हैं, “सत्ता में मौजूद वो सभी वयस्क चाहे वह राजनेता हों, पत्रकार, नौकरशाह, पुलिसकर्मी, वकील, जज या किसी और पेशे से जुड़े हों… जो तानाशाही की स्थापना करने और उसे बढ़ाने में किसी तरह से योगदान देता है, उसने सोच समझकर वो विकल्प चुना है. ऐसे लोगों के साथ कभी सहानुभूति न रखें.”
बीजेपी के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी के क़रीबी रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी ने लिखा है, “चुनावों की तारीख़ों की घोषणा के बाद मौजूदा मुख्यमंत्री की गिरफ्त्तारी निदंनीय है. ये ग़ैर-लोकतांत्रिक है और साफ़ तौर पर चुनावों में बीजेपी को अनुचित तरीक़े से फ़ायदा पहुँचाने के लिए है.”
थिंकटैंक सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रीसर्च में सीनियर फेलो और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलो के जानका सुशांत सिंह ने तंज कसा, “जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है.”
गुरुराज अनजान नाम के एक यूज़र ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 10 साल पुराना एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया.
साल 2014 के इस वीडिया में मनमोहन सिंह देश को चेतावनी देते हैं, “नरेंद्र मोदी की काबिलियत पर चर्चा किए बिना अगर वो भारत के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गए तो यह देश के लिए घातक सिद्ध होगा.”
2014 में एक संवाददाता सम्मेलन में मनमोहन सिंह ने कहा था कि वो लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री का पदभार नहीं संभालेंगे.
इस दौरान उन्होंने नरेंद्र मोदी को लेकर चेताया था और कहा था, “अगर आप अहमदाबाद की गलियों में बेगुनाह लोगों के नरसंहार को प्रधानमंत्री बनने की क्षमता नापने का पैमाना मानते हैं तो मैं इसमें विश्वास नहीं करता…”
बीजेपी और आम आदमी पार्टी के आरोप प्रत्यारोप
बीजेपी का कहना है कि ईडी का कार्रवाई के बाद केजरीवाल को नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए, करें घोटाला शराब का तो आराम कहां से पाए… ये शराब के घोटाले का विषय है और किस अदालत तक ये घोटाला नहीं पहुंचा है.”
“कौन सी ऐसी एजेंसी है, जिसने इसकी जांच नहीं की है? और कौन सा ऐसा दिल्लीवासी है, जो इस मामले के तथ्यों से अनभिज्ञ है?”
वहीं आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “भारत में अघोषित आपातकाल है, हमारा गणतंत्र ख़तरे में है. चुनावों से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है. वो दूसरे विपक्षी नेता हैं, जो गणतांत्रिक तरीक़े से चुने गए हैं. हम किस ओर जा रहे हैं?”
“देश ने कभी एजेंसियों का इस तरह से खुले तौर पर ग़लत इस्तेमाल नहीं देखा. ये कायराना हरकत है और विपक्ष की आवाज़ को दबाने का साज़िश है.”
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संदीप पाठक ने लिखा, “भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी को ये दांव उल्टा और बहुत महँगा पड़ेगा.”
पार्टी ने गुरुवार रात को कहा था कि “केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे चाहे उन्हें जेल से ही सरकार क्यों न चलानी पड़े.”
कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “मीडिया समेत सभी संस्थाओं पर कब्ज़ा, पार्टियों को तोड़ना, कंपनियों से हफ़्ता वसूली, मुख्य विपक्षी दल का अकाउंट फ्रीज़ करना भी ‘असुरी शक्ति’ के लिए कम था, तो अब चुने हुए मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी भी आम बात हो गई.”
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने गुरुवार रात को केजरीवाल के परिवार से मुलाक़ात की और आरोप लगाया कि मोदी सरकार पर एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल कर रही है.
उन्होंने कहा, “चाहे हमारे अकाउंट फ्रीज़ करने की बात हो या फिर हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी बात हो या फिर केजरीवाल की गिरफ्तारी की बात की, ईडी चुनावों के साथ जोड़ कर ये कार्रवाई कर रही है. आप चुनाव से पहले किसी भी पार्टी का गला थोड़े घोंट सकती है.”
कांग्रेस के पूर्व नेता और जानेमाने वकील कपिल सिब्बल ने तंज कसते हुए लिखा, “मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी ने ये दिखा दिया कि ईडी उसका सबसे वफ़ादार बेटा है.”
कांग्रेस नेता और जानेमाने वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने लिखा, “घबराइए, आप फासीवाद में प्रवेश कर चुके है. तानाशाही सरकार सारे विपक्षी नेताओं को जेल में डाल रही. संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है. जैसे-जैसे लोक सभा चुनाव करीब आ रहे है देश में सिर्फ नाममात्र का लोकतंत्र रह गया है असल मे यहाँ फासीवाद चल रहा है.”
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने इसकी कड़ी आलोचना की और लिखा कि इंडिया गठबंधन अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ इस असंवैधानिक कार्रवाई का विरोध करती है.
उन्होंने लिखा, “आम चुनाव सिर पर हैं और विपक्ष को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये गिरफ्तारी दिखाती है कि सत्ता के लिए बीजेपी किस हद कर नीचे गिर सकती है.”
क्या है मामला?

गुरुवार को हाई कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद ईडी के अतिरिक्त डायरेक्टर के नेतृत्व में 10 सदस्यों की ईडी की एक टीम दिल्ली के सिविल लाइन्स में मौजूद केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर पहुंची.
वहां तलाशी अभियान चलाया गया. ईडी की टीम के उनके आवास पर पहुंचने के क़रीब दो घंटे बाद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया.
केजरीवाल की गिरफ्तारी के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए जिसके बाद उनके आवास के बाहर धारा 144 लागू की गई.
इस मामले में ये ईडी की ये 16वीं गिरफ्तारी है. ईडी ने अब तक इस मामले में छह चार्ज़शीट दाखिल की है और 128 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति ज़ब्त की है.
इससे पहले ईडी ने पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कई बार केजरीवाल को समन भेजे थे, लेकिन केजरीवाल ये पेश होने से इनकार कर दिया था. उन्होंने ईडी के ख़िलाफ़ कोर्ट का रुख़ किया था.
ईडी और सीबीआई का आरोप है कि दिल्ली सरकार ने अपनी आबकारी नीति के ज़रिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों से घूस लेकर उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाया गया. आम आदमी पार्टी अब तक इन आरोपों से इनकार किया है.