नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने 25 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में पति, पत्नी और बेटा को बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि दलीलें विसंगतियां संदेह पैदा करती हैं। आरोपी के खिलाफ मामला साबित करने की जिम्मेदारी अभियोजन पक्ष पर है। जिसमें वे विफल रहे। अभियुक्तों को संदेह का लाभ प्राप्त करने का अधिकार है।
पश्चिम विहार में संपत्ति बिक्री से जुड़ा था मामला
कोर्ट ने कहा कि सबूतों के अभाव में अभियुक्तों वतन बीर सिंह, तनवीर सिंह और जगजीत कौर को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध से मुक्त कर दिया गया है। आरोपियों के खिलाफ यह मामला अगस्त 2000 को दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने पश्चिम विहार, दिल्ली में एक संपत्ति की बिक्री से संबंधित झूठा और जाली दस्तावेजों के आधार पर 14 लाख रुपये देने का लालच देकर (आरोप पत्र के अनुसार) धोखा देने का आरोप लगाया था।
अदालत ने किया आरोपों से मुक्त
आरोप लगाया कि जगजीत कौर संपत्ति की मूल मालिक नहीं पाई गई और इस तरह उसने आईपीसी की धारा 420/120 के तहत दंडनीय अपराध किया। अदालत ने कहा, “अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य अभियुक्तों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अदालत ने कहा, “एक भी दस्तावेज रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया है। आरोप पत्र के अनुसार, आरोपियों ने धोखाधड़ी के उद्देश्य से संपत्ति का झूठा दस्तावेज तैयार करके जालसाजी की और कथित जाली दस्तावेज का उपयोग करके संपत्ति को बेच दिया।
पैसे ऐंठने के आरोप में दो लोग गिरफ्तार
वहीं, पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर में दो भाइयों का कथित तौर पर अपहरण कर पैसे ऐंठने और उनकी मां पर विवादित संपत्ति खाली करने का दबाव बनाने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। डीसीपी क्राइम आदित्य गौतम ने बताया कि आरोपी 30 वर्षीय राहुल और 23 वर्षीय रवि उर्फ कालू एक साल से फरार थे। उन्हें बुधवार को एक गुप्त सूचना के आधार पर मोती बाग से गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने बताया कि अपहरण की यह घटना पिछले साल 20 जून को मधु विहार में हुई थी। 22 और 17 साल के दो भाइयों को उनके घर से अगवा कर हरियाणा के पानीपत ले जाया गया। यह अपहरण कथित तौर पर राजिंदर उर्फ डॉक्टर के इशारे पर किया गया था। वह शिकायतकर्ता का पड़ोसी है और भूमि हड़पने के लिए कुख्यात है।