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झारखंड: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नाटकीय अंदाज में रांची पहुंचे, पत्नी को झारखंड का मुख्यमंत्री बना सकते हैं-भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, राष्ट्रपति शासन लगाने का यह सही समय, जानिए क्या है अनुच्छेद 355

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मिल गए हैं. जांच के लिए पहुंची ईडी की टीम भी उन्होंने नहीं तलाश पाई. दिल्ली में हुई ईडी की जांच में उनके आवास से 36 लाख रुपए और एसयूवी जब्त किए गए हैं. नाटकीय अंदाज में सोरेन रांची पहुंचे. विधायकों के साथ बैठक की. इस दौरान उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद रहीं. चर्चा है कि जांच के बीच वो पत्नी को झारखंड का मुख्यमंत्री बना सकते हैं.

इस पूरे घटनाक्रम के दौरान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सीएम सोरेन पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा, सोरेन अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का यह सही समय है. मैं राज्यपाल से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत रिपोर्ट भेजने का अनुरोध करता हूं. जानिए क्या है अनुच्छेद 355 और इसका मतलब.

क्या है अनुच्छेद 355?

संविधान का अनुच्छेद 355 केंद्र सरकार को यह मौका देता है कि वो राज्यों को बाहरी आक्रमण से बचाए और आंतरिक शांति को बनाए रखे. इस प्रावधान के जरिए केंद्र सरकार को पावर मिलती है कि वो राज्य में सरकार को बर्खास्त किए बिना कानून-व्यवस्था को कंट्रोल करे.भारत का संविधान के मुताबिक, केंद्र का यह कर्तव्य है कि वो हर राज्य की सरकार को संविधान के प्रावधानों के मुताबिक कार्य कराना सुनिश्चित करे. इस तरह झारखंड में जो हालात हैं उसके आधार पर बड़ा फैसला भी लिया जा सकता है

इतना ही नहीं, अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को अधिकार देता है. अगर राज्य में ऐसे हालात बन गए हैं कि वहां संविधान के मुताबिक सरकार नहीं चल पा रही है तो राष्ट्रपति शासन लग सकता है. अगर राज्य सरकार केंद्र के निर्देश का पालन करने में विफल रहती है तो राष्ट्रपति तक यह साफ संदेश जाता है कि वहां की सरकार संविधान के मुताबिक नहीं चल सकती.

राज्यपाल से रिपोर्ट भेजने का अनुरोध करने क्या मतलब?

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने राज्यपाल से केंद्र को रिपोर्ट भेजने का अनुरोध किया है. इसका मतलब भी समझ लेते हैं. दरअसल, झारखंड के जो हालात हैं अगर उसकी रिपोर्ट राज्यपाल प्रेसिडेंट को भेजते हैं तो राष्ट्रपति शासन लग सकता है.हालांकि भारतीय संविधान यह भी कहता है कि राष्ट्रपति शासन लगने के दो महीने के अंदर दोनों सदनों में इसका अनुमोदन किया जाना अनिवार्य है.

झारखंड में हालात क्यों बिगड़े?

निशिकांत दुबे का कहना है कि मैंने लोकपाल से शिकायत की. इसके बाद सीबीआई ने सोरेन की सम्पत्ति की जांच शुरू की थी. उनके पास 82 सम्पत्तियां हैं. जो शिबू सोरेन हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी के नाम हैं. जिसकी जानकारी न तो उन्होंने आयकर विभाग को दी है और न ही चुनावी हलफनामे में. लोकपाल ने उन्हें 15 फरवरी तक का मौका दिया है.

अब आगे क्या?

हेमंत सोरेन की वापसी के बाद हुई बैठक में पत्नी मौजूद रहीं. हालांकि वो विधायक नहीं है कि लेकिन चर्चा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि उन्हें इससे कोई समस्या नहीं है. जो भी आदेश होगा पार्टी नेता उसे स्वीकार करेंगे. हालांकि, वो सीएम बनेंगी या नहीं, इसको लेकर कोई अधिकारिक जानकारी नहीं जारी की गई है.

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