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जब भी आप भगवान शिव के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं तो आपने देखा होगा कि नंदी का मुंह शिवलिंग की ओर होता है लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों? जानने के लिए पढ़ें

आप लोगों ने भगवान शिव के मंदिर में अक्सर देखा होता कि नंदी का मुंह शिवलिंग की ओर होता है और लोग बड़ी ही भक्ति से धार्मिक विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं. इसके बाद लोग अपनी मनोकामना के लिए नंदी के कान में अपने मन की बातें कहते हैं और नंदी भगवान शिव को आपकी मनोकमना पूर्ण करने के लिए कहते हैं. शिव मंदिर में शिव परिवार के साथ उनके वाहन के भी दर्शन होते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा हैं कि शिव मंदिर में विराजित यह मूर्तियां जीवन की नजर से क्या संदेश देती हैं? जानने के लिए पढ़ें ये पूरा लेख…

ये हैं पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने ऋषि शिलाद की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र रत्न का वरदान दिया था. ऋषि शिलाद के पुत्र ही नंदी कहलाए जो भगवान शिव के परम भक्त, गणों में सर्वोत्तम और महादेव के वाहन बने. भगवान शिव ने नंदी की भक्ति से खुश होकर हर शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा होने का वरदान भी दिया था. यही कारण है कि बिना नंदी के दर्शन और उनकी पूजा किए भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसा मान्यता है कि जब नंदी को शिवलिंग के समक्ष स्थापित होने का वरदान मिला तो वह तुरंत भगवान शिव के सामने बैठ गए. तब से ही हर शिव मंदिर के सामने नंदी की प्रतिमा देखने को मिलती है.

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